भ्रष्टाचार व दुर्व्यवहार के लिए यूपी व बिहार पुलिस भले ही बदनाम हो लेकिन पंजाब पुलिस इस मामले में सबसे आगे निकली। बीती 29 अक्टूबर की रात पंजाब पुलिसवालों की कारगुजारी से साबका पड़ा तो रेल यात्रियों के होश उड़ गये। हुआ यूं की यात्रियों की सुरक्षा के लिए जम्मू सीमा पर स्थित राजपुरा से कोलकाता-जम्मूतवी एक्सप्रेस में पंजाब पुलिस के जवान सवार हुए। इन पुलिसकर्मियों की जिम्मेदारी है कि वे यात्रियों को सकुशल अंबाला रेलेव जंक्शन तक पहुंचायें। अपनी सुरक्षा में पुलिसकर्मियों के साथ होने से अधिकांश यात्री खाना खाने के बाद आराम करने लगे। कुछ देर बाद तो कइयों ने खर्राटे भरने शुरू कर दिये जबकि कुछेक नींद आने का इंतजार कर रहे थे। रात करीब दो बजे एस फाइव कोच में असलहों से लैस तीन वर्दीधारी सिख सिपाही घुसे। उन्होंने कोच की एक नम्बर सीट से ही नींद में सो रहे यात्रियों को जगाकर उनकी जामा-तलाशी लेना शुरू कर दिया। इन पुलिसवालों का दुस्साहस इस कदर रहा कि उन्होंने कोच में सफर कर रहे यूपी पुलिस के एक दरोगा तक की तलाशी ले ली। जब तक वे कुछ समझ पाते इतने में ही उनके साथ चल रहे दरोगा नाम के एक युवक से पंजाब पुलिस के जवानों ने मोबाइल फोन ले लिया। एक ने सीट पर बैठकर मोबाइल की जांच शुरू कर दिया। पुलिसवालों की इस कारगुजारी को देख यूपी पुलिस के दरोगा व उनके सहयात्रियों ने नाराजगी जताई तो वे आगे बढ़ गये। एक-एक बोगी में सोते यात्रियों की तलाशी के बहाने पंजाब पुलिस के जवान निज स्वार्थ के लिए अराजकता की हद पार गये। वे एस-8 बोगी में बैठे अशोक नामक यात्री के पास पहुंचे। नींद में सो रहे अ
शोक को पहले जगाया उसके बाद मोबाइल देने का निर्देश दिया। अशोक ने जब मोबाइल फोन दे दिया तो पंजाब पुलिस के जवानों ने उसमें अश्लील चित्र होने की बात कहकर जेल भेजने की धमकी देते रहे। इतना ही नहीं इसी धमकी के बूते उन्होंने डेढ़ हजार रुपये नकद व मोबाइल फोन का चिप ले लिया। इतना होने के दौरान अम्बाला कैंट रेलवे स्टेशन आ गया जहां तीनों सिपाही उतर गये। पुलिसवालों के हाथ लुटने की जानकारी अशोक ने अपने साथियों को दी तो उन्होंने स्टेशन पर उतरे पुलिसवालों को घेर लिया। इसके बाद उन लोगों को रुपये व चिप वापस करने पड़े। यह घटना तो महज बानगी भी है। पंजाब पुलिस के जवाबों द्वारा टेनों में यात्रियों का शोषण, महिला यात्रियों से दुर्व्यवहार व उत्पीड़न की शिकायतें आम हैं लेकिन रेलवे प्रशासन इन घटनाओं को लेकर कतई संजीदा नहीं है, ऐसे में किसी भी दिन बड़ी वारदात होने से इनकार नहीं किया जा सकता। इतना ही नहीं जिस तरह रेल यात्रियों को आतंकवाद से खतरा है उससे निपटने के लिए प्रदेशों की पुलिस कतई सक्षम साबित नहीं हो रही है। रेल मंत्रालय को रेल यात्रियों की सुरक्षा के लिए केन्द्रीय पुलिस बल की तैनाती जरूरी है, वरना टेनों में यात्रियों के साथ चोरी, लूट और दुर्व्यवहार की घटनाएं होती रहेंगीं।
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