शुक्रवार, दिसंबर 31, 2010

पर्यटन के नक्‍शे पर नहीं आ सकी अयोध्‍या

अयोध्या, प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली होने के साथ ही सिख, जैन व मुस्लिम धर्मावलंबियों के लिए भी धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जानी वाली अयोध्या पर्यटन के लिहाज से पूरी तरह बंजर है। इस धर्मनगरी तक पहुंचने के लिए न तो सड़क व रेल परिवहन की माकूल व्यवस्था है और न ही ठहरने के लिए अच्छे होटल और गेस्टहाउस। मनोरंजन की सुविधाएं तो पूरी तरह बेमानी हैं। ऐसे में विभिन्न धर्मो के पवित्र स्थल और कलकल करती पतित पावनी सरयू की जलधारा ही यहां आने वाले लोगों के आकर्षण का केंद्र है। ऐसे में यह कहना अतिशयोक्ति न होगी कि बस पुण्य लाभ ही लोगों को यहां खींच लाता है।
अयोध्या से परिवहन सेवाओं की बात करें तो मथुरा, काशी और संगम से सीधे आवागमन के लिए ट्रेनों की सीधी सुविधा नहीं है। इस नगरी के नाम पर राजनीतिक दलों ने भले ही रोटियां सेंकी पर एक अदद ट्रेन अयोध्या के नाम पर नहीं चल सकी। वहीं सड़क परिवहन के नाम पर धर्मनगरी में अन्तरराज्यीय बस अड्डा तक स्थापित नहीं हो सका। ऐसे में अयोध्या पहुंचने को निजी वाहनों अथवा प्राइवेट टैक्सी वाहनों का ही सहारा है। अयोध्या आने वाले पर्यटकों के ठहरने के लिए अच्छे होटलों का अभाव है। यहां पर्यटन विभाग की ओर से होटल साकेत तो वर्षो पहले स्थापित किया गया पर वह इन दिनों बदहाली की भंवर में है। इस होटल में भी आधुनिक सुख-सुविधाओं का अभाव है। इस कारण पर्यटक उसमें जाने से कतराते हैं। मनोरंजन अथवा घूमने-फिरने के लिए धर्मनगरी में सुविधाओं का अकाल है। यहां राजघाट पार्क और चौधरी चरण सिंह घाट ही ऐसे स्थल हैं जहां कुछ देर तक बैठा जा सकता है। बदइंतजामी के कारण ये स्थल भी अपना आकर्षण खो रहे हैं। इतना ही नहीं सुरक्षा के नाम पर दिन-ब-दिन बढ़ रही सख्ती के कारण पर्यटकों का अयोध्या के प्रति मोह और भी भंग होता जा रहा है। माल, रेस्तरां और मनोरंजन के साधनों का अभाव भी उन्हें अयोध्या से विमुख कर रहा है। शायद यही कारण है कि अयोध्या आने वाले पर्यटकों की तादाद में इजाफा नहीं हो पा रहा है। वर्ष 2006 में यहां कुल 61693 देशी व 416 विदेशी पर्यटकों की आमद दर्ज है। वर्ष 2007 में यह संख्या 70145 व 558 रही जबकि 2008 में 60614 देशी व 1228 विदेशी पर्यटक आये। वर्ष 2009-10 का आंकड़ा नहीं मिल सका। क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी राजेन्द्र कुमार रावत ने स्वीकार किया कि अयोध्या में लोग धार्मिक पर्यटन की दृष्टि से आते हैं जिनके लिए यहां कई प्रमुख स्थल हैं।
अधूरे ही रहे ये ख्वाब
अंतर्राष्ट्रीय रामकथा संकुल- 12 सौ करोड़ की इस परियोजना में रामकथा के विविध प्रसंगों पर आधारित दृश्यों सहित पार्क, संग्रहालय, आर्ट गैलरी, प्रशासनिक भवन, आडोटोरियम, ओपेन एअर थिएटर, फाइव स्टार होटल का निर्माण प्रस्तावित है। इसके लिए करीब 45 एकड़ भूमि की जरूरत है जिसे पांच साल भी प्रशासन खोज नहीं सका।
शिल्पग्राम- चार करोड़ रुपये की लागत वाली इस परियोजना का शुभारंभ प्रदेश की मुख्यमंत्री ने गत वर्षो में ही कर चुकी हैं। शिल्प ग्राम में रामकथा से जुड़े प्रसंगों की प्रदर्शनी व स्टाल का निर्माण प्रस्तावित है। बताते हैं कि इस परियोजना के लिए आधा धन केंद्र व आधा राज्य सरकार देगी। प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है पर वित्तीय स्वीकृति नहीं मिल सकी।

यह है दीदी की रेल, ममता न मेल

यह है ‘दीदी’ की रेल, न ‘ममता’ न मेल। जाने कब डिटेन हो जाए’ और न जाने कब हो जाए फेल
आरक्षण की बोगी में रेलमपेल व धक्‍का, न जाने कब सिर फूटे और माल ले जाए उचक्‍का, यह है दीदी की रेल, न ममता न मेल
कहीं छकावे किन्‍नर टोली कहीं डरावे खाकी,  देख मुसाफिर आंख खोल रक्षक ही बने हैं भक्षक, यह है दीदी की रेल, न ममता न मेल
उत्‍तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम सभी दिशा ले जाए, यूपी में भइया बोले तो बिहारी डेरावे, बंगाल में दादा भी दादागिरी दिखावें, यह है दीदी की रेल, न ममता न मेल
यूपी पुलिस बदनाम है भइया, पंजाब की वर्दी भारी, आते-जाते लोगों की जेब टटोलें ये मुलाजिम सरकारी, यह है दीदी की रेल, न ममता न मेल
खानपान के नाम पर हो रही खूब उगाही, जहरखुरानों के आतंक से सहमें हर नर-नारी, डिब्‍बे में चना-चाय बेचते घूम रहे अपराधी। यह है दीदी की रेल, न ममता न मेल
आरक्षण का टिकट पर सीट की मारामारी, उठते ही सीट बिक जाए जेब करे जो भारी, पानी-खाना ऐसा मिलता जेहसे बढै बीमारी। यह है दीदी की रेल, न ममता न मेल
यात्री की रक्षा नहीं, न ही नारि सुरक्षित, हर ओर दुष्‍सान मिलते हैं कैसे अबला रहें सुरक्षित। यह है दीदी की रेल, न ममता न मेल

ऐसे तो रुकने से रहीं आतंकी वारदातें

फैजाबाद, अयोध्या के अधिग्रहीत परिसर पर पांच साल पूर्व हुए फिदाइन हमले में वांछित अभियुक्त मुश्ताक अब तक पहेली बना है। जांच एजेंसियों की छानबीन में इस बात की पुष्टि हुई है कि हमले में जिन बमों व राइफलों को इस्तेमाल किया गया था उसे अलीगढ़ में रखवाने की व्यवस्था मुश्ताक ने ही की थी। वहीं राम सिंह नामक उस व्यक्ति के बारे में भी सुराग नहीं लगा जिसने अंबेडकरनगर में किराए पर कमरा लेकर आतंकियों को ठहराया था। वर्षो बाद में पुलिस अथवा खुफिया एजेंसियों की नाकामी के कारण अयोध्या की घटना से जुड़े कई राज उजागर नहीं हो सके। वाराणसी की घटना के बाद यह सवाल उठ रहे हैं कि कहीं उक्त मददगारों का इस्तेमाल आतंकी संगठनों द्वार फिर तो नहीं किया जा रहा है? पांच जुलाई 2005 को अधिग्रहीत परिसर पर आतंकी हमला किया गया था। हमले के दौरान आत्मघाती दस्ते के सभी आतंकियों को सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में मार गिराया था। घटना में शामिल आतंकियों के मददगारों तक पहुंचने में मृत आतंकियों के मोबाइल फोन से काफी मदद मिली। उसी के जरिए घटना की साजिश में शामिल जम्मू-कश्मीर से आसिफ इकबाल उर्फ फारुख, मोहम्मद नसीम, मोहम्मद अजीज, शकील अहमद व सहारनपुर जिले से डा. इरफान को गिरफ्तार किया गया। ये सभी अभियुक्त इन दिनों नैनी जेल में निरुद्ध हैं जहां उनके विरुद्ध सुनवाई हो रही है। पुलिस की छानबीन में अलीगढ़ निवासी मुश्ताक अभी वांछित है। इसके अलावा कोड नाम वाले पांच आतंकियों दाऊद, उमर, दनदल, अदनान व कारी का नाम प्रकाश में आया है। इनमें से तीन के मृत होने की बात पुलिस मान रही है जबकि मुश्ताक व अदनान वांछित हैं। पांच साल तक चली पुलिस की विवेचना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी। हालांकि पुलिस अधिकारियों का कहना है कि विवेचना जारी है। इसी तरह 23 नवंबर 2007 को कचहरी में हुए सीरियल ब्लास्ट की घटना में आमिर नामक उस युवक का नाम प्रकाश में आया था जिसके द्वारा घटना में इस्तेमाल साइकिल लिए जाने की पुष्टि हुई थी। पुलिस या खुफिया एजेंसियां अब तक उसके बारे में भी सुराग नहीं लगा सकीं। वाराणसी में हुए ब्लास्ट के बाद खुफिया एजेंसियां इस बात को लेकर चौकन्नी हैं कि कहीं पूर्व में घटनाओं में शामिल उक्त मददगारों का फिर तो इस्तेमाल नहीं हो रहा है।

नये साल में नया सबेरा आएगा

नये साल में नया सबेरा आएगा,
अंधियारा मिट जाएगा जीवन का, तन-मन हर्षाएगा
यही बात हर बार सोचकर राही कदम बढ़ाता जा
तपता-जलता फिर भी मंजिल तक इठलाता जा
महंगाई के बोझ से दबकर बार-बार पछताना है
राजनीति का खेल है भइया  उनको सबक सिखाना है
बावजूद इसके हम सबको जीवन की नाव चलाना है
बहुत कठिन है डगर यह यारो फिर भी चलते जाना है
धनवानों का शगल बन चुका जश्‍न का मौका उन्‍हें तो नीर बहाना है
ऐसे में नूतन वर्ष का कैसे हो अभिराम
देश हमारा भारत है, इसके लोग महान
हिंदू-मुस्लिम, सिख, इसाई सारे भाई-भाई हैं
समरसता की बात करो तुम, रंज की पाटो खाईं
तभी देश की होगी तरक्‍की, आएगी खुशहाली
आओ हम सब मिलकर यारों भविष्‍य की राह संवारे
नये वर्ष में कम से कम एक संकल्‍प अपना लो
नशामुक्‍त हो जीवन अपना खुशियों से भर डालो
शिक्षा का ज्ञान फैलाकर भटके को राह दिखाओ
आतंकवाद, धर्मवाद और रिश्‍वतखोरी को तजकर
सत्‍य अहिंसा की राहों पर चलकर बोले हर इंसान
अपना भारत देश महान, अपना भारत देश महान
मंगलमय हो नव वर्ष सभी को अमंगल की पड़े न छाया
चारों ओर सुख-समृद्धि हो, स्‍वस्‍थ्‍य-निरोगी हो काया।