प्रदेश में ठंड का प्रकोप जारी है। हर जिले से रोजाना मौतों की खबरें आ रही हैं। मौत का क्या भरोसा, कब आ जाए लेकिन ऐसी मौत जो किसी प्राकृतिक प्रकोप के कारण हो उससे बचाव के उपाय तो कम से कम किए जा सकते हैं। शायद इसी मकसद से गरीबों को कंबल बांटने व अलाव जलाने की व्यवस्था है। किसी भी कल्याणकारी राज्य में इस व्यवस्था की कल्पना की जाती है लेकिन वर्तमान सरकार में शायद यह व्यवस्था गौण है। नतीजतन ठंड से बचाव के माकूल प्रबंध नहीं किए जाने से गरीब लगातार मर रहे हैं। उनके पास भोजन तक की व्यवस्था नहीं है। सरकार में शामिल जनप्रतिनिधियों या अधिकारियों के पास आम जनता की इस समस्या के निराकरण के लिए समय तक नहीं है। उनकी आवाज सिर्फ मीडिया की सुर्खियों में छायी रहती है। इस कारण अकेले फैजाबाद जिले में दो दर्जन लोगों की मौत ठंड के कारण हो चुकी है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश की मुखिया मायावती के जन्मोत्सव को लेकर सत्तादल के नेता हों या अधिकारी पूरे प्राणपण से जुटे हैं। गरीबों की झोपड़ी तक पहुंचने के लिए उनके पास समय नहीं है लेकिन शहर की गलियों से लेकर चौराहे तक नीली रोशनी से जगमगा रहे हैं। शायद यह पहला मौका है जब अघोषित रूप से ही सही पर सरकारी मशीनरी अंदरखाने बहन जी का जन्मदिन मनाने के लिए उत्सुक नजर आ रही है। रैली और सियासी शो के नाम पर लाखों रुपए के वारे-न्यारे किए जा रहे हैं। वहीं पुलिस और परिवहन विभाग का अमला वाहनों के प्रबंध्ा में तल्लीन है। जश्न के इस मौके पर भला किसकी मजाल जो गरीबों की लाचारी और उनकी असमय मौतों के बारे में आवाज उठा सके।
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