मंगलवार, अक्तूबर 20, 2009

किचकिच ने उसे जो हथियार उठाने को मजबूर किया

जहां लोग दीपावली पर खुशियां मना रहे वहीं वहीं मदन बिहारी और उनके पडोसी रमेश के बीच तकरार चल रही थी। आये दिन की तकरार से आजिज आकर एक संभ्रान्‍त व्‍यक्ति आखिरकार बंदूक उठाने को मजबूर हो गया। वह व्‍यक्ति कोई और नहीं बल्कि मदन बिहारी थे। उन्‍हें इस बात की टीस थी कि जिस रमेश की उन्‍होंने कभी मदद की थी वही आज उनके लिए कंटक साबित हो रहा है। रोज-रोज का विवाद खत्‍म कर देने के मकसद से मदन बिहारी अपनी लाइसेंसी बंदूक के साथ घर से निकले पिफर वापस नहीं लौटे। अगले दिन उन्‍होंने सम्‍मान को चुनौती देने वाले रमेश नामक युवक को दिन-दहाड़े गोलियों से छलनी कर मौत के घाट उतार दिया। यह घटना किसी सम्‍पत्ति विवाद या बदले की भावना से नहीं हुई बल्कि रोज-रोज की किचकिच अहम वजह बनीं।

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