मंगलवार, अक्तूबर 20, 2009

गरीबों की हर रात काली

अमीरों की होती जगमग दीवाली, गरीबों की हर रात काली
आओ हम भी खुशियों के दीप जलाएं जिसमें इक दीया गरीबों का भी हो शामिल
न पटाखे न शोर और धमाके, बस बोलिये मीठी वाणी शायद ऐसे में उन गरीबों की भी मन जाय दीवाली

2 टिप्‍पणियां:

  1. दीवाली को लेकर आपने अच्‍छी बात लिखी है। पटाखों के शोर की बजाय मीठी वाणी के इस्‍तेमाल से दिवाली मनाने की जो बात आप कहते हैं अगर वह सच हो जाए तो हर दिन दीवाली हो जाएगी।

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