रविवार, मार्च 14, 2010

वही आस्‍तीन का सांप...

तालीम लेने के लिए मां-बाप ने अच्‍छे स्‍कूलों में दाखिला कराया लेकिन गलत सोहबत म पड़ कर रोहित, रानू और मुस्‍ताक वाहन चोरों के गिरोह में शामिल हो गये। वहीं मोनू, सोभित और इसरार जैसे किशोरवय छात्र जो अभी तक टीन एजर हैं उन्‍होंने पहले परिवार के सदस्‍यों की जेब में हाथ मारना शुरू कर दिया। यह सिलसिला बढता गया तो पढाई के बजाय मास्‍टर माइण्‍ड गुरुओं की शरण में पहुंच गये। पढ़ाई के दौरान ये किशोर अपनी गतिविधियों को अंजाम देते रहे। शहर में वाहन चोरी और चोरी की वारदातों को अंजाम देने वाला यह गिरोह पुलिस के हाथ लगा तो हर कोई भौचक रह गया। पूर्व मंत्री के घर हुई लाखों की चोरी में उन्‍हीं के नाती का हाथ होने के खुलासा हुआ तो यह सवाल भी उपजे कि आखिर हमारा समाज कहां जा रहा जिसे बच्‍चे का भविष्‍य संवारने के लिए सुविधा दी वही आस्‍तीन का सांप निकला। इतना ही नहीं उसने चोरी की वारदात को इतने योजनाबद्व ढंग से अंजाम दिया कि बड़े-बड़े मास्‍टर माइण्‍ड फेल हो जांय। पुलिस ने पूछताछ किया तो किशोर ने यह रहस्‍योदघाटन किया कि उसने घटना को अंजाम देने के लिए टीवी पर आने वाले धारावाहिक सीआईडी से इसकी सीख ली। वह एकमात्र यही सीरियल देखता है। इसी तरह जेब खर्च के लिए दसवीं कक्षा के छात्रों ने वाहन चोरियां करनी शुरू कर दी। पुलिस ने उनके कब्‍जे से चोरी की तीन मोटर साइकिलों को बरामद किया तो उसकी आंखें फटी रह गईं। अब सवाल उठता है कि ऐसे हालात क्‍यों उत्‍पन्‍न हो रहे हैं इस सवाल के जवाब में एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि बच्‍चों को शिक्षा के लिए अच्‍छे स्‍कूलों में दाखिला तो दिला दिया जाता है लेकिन उनकी गतिविधियों पर मां-बाप नजर नहीं रखते। परिवार में आधुनिकता और फैशन का माहौल और गैर जिम्‍मेदाराना रुख बच्‍चों को अपराध की ओर उन्‍मुख कर रहा है।

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