शुक्रवार, दिसंबर 31, 2010

नये साल में नया सबेरा आएगा

नये साल में नया सबेरा आएगा,
अंधियारा मिट जाएगा जीवन का, तन-मन हर्षाएगा
यही बात हर बार सोचकर राही कदम बढ़ाता जा
तपता-जलता फिर भी मंजिल तक इठलाता जा
महंगाई के बोझ से दबकर बार-बार पछताना है
राजनीति का खेल है भइया  उनको सबक सिखाना है
बावजूद इसके हम सबको जीवन की नाव चलाना है
बहुत कठिन है डगर यह यारो फिर भी चलते जाना है
धनवानों का शगल बन चुका जश्‍न का मौका उन्‍हें तो नीर बहाना है
ऐसे में नूतन वर्ष का कैसे हो अभिराम
देश हमारा भारत है, इसके लोग महान
हिंदू-मुस्लिम, सिख, इसाई सारे भाई-भाई हैं
समरसता की बात करो तुम, रंज की पाटो खाईं
तभी देश की होगी तरक्‍की, आएगी खुशहाली
आओ हम सब मिलकर यारों भविष्‍य की राह संवारे
नये वर्ष में कम से कम एक संकल्‍प अपना लो
नशामुक्‍त हो जीवन अपना खुशियों से भर डालो
शिक्षा का ज्ञान फैलाकर भटके को राह दिखाओ
आतंकवाद, धर्मवाद और रिश्‍वतखोरी को तजकर
सत्‍य अहिंसा की राहों पर चलकर बोले हर इंसान
अपना भारत देश महान, अपना भारत देश महान
मंगलमय हो नव वर्ष सभी को अमंगल की पड़े न छाया
चारों ओर सुख-समृद्धि हो, स्‍वस्‍थ्‍य-निरोगी हो काया।

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